जनकपुरधाम। एमाले नेता और पूर्व मंत्री रघुवीर महासेठ ने धनुषा में सशस्त्र पुलिस द्वारा बरामद अवैध काजू के मामले में अपना नाम जोड़कर बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, ऐसा आरोप लगाया है।
सोशल मीडिया पर कुछ राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं द्वारा एक सुनियोजित तरीके से नेता महासेठ का नाम इस मामले में जोड़ा गया है। सोशल मीडिया पर आई जानकारी के बाद न्यूज ब्यूरो से बातचीत करते हुए नेता महासेठ ने बताया कि जिस जमीन से काजू बरामद हुआ है, उसमें कई लोगों का शेयर है और वह जमीन किसी भी उपयोग में नहीं थी। ऐसे में कोई वहां कुछ रख जाए और इस आधार पर उनका नाम जोड़ा जाए, तो यह समाजिक मूल्यों और मान्यताओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि संबंधित दलों के कार्यकर्ताओं में राजनीतिक संस्कार की कमी है।
धनुषा जिले के लक्ष्मीनिया गांवपालिका वार्ड नंबर ७ स्थित एक चाइनीज ईंट भट्टा कंपाउंड के खाली घर में छिपाकर रखे गए काजू मिलने के बाद सोशल मीडिया पर यह अटकलबाज़ी शुरू हुई कि वह जमीन नेता महासेठ की है।
गत बुधवार को सशस्त्र पुलिस की एक टीम ने विशेष सूचना के आधार पर छापा मारते हुए उस घर से करीब 13 क्विंटल 20 किलो काजू बरामद किए। इसके बाद सोशल मीडिया पर इस खबर को उठाकर नेता महासेठ का नाम उससे जोड़ा गया।
एमाले के जिला सचिव दीप नारायण ठाकुर (दीपन) ने भी दावा किया कि उस जमीन में कई लोगों का हिस्सा है और जैसा कि तस्वीरों में दिखाया गया है, वहां कोई स्थायी घर नहीं है। उन्होंने कहा कि शेयरधारकों ने अपनी-अपनी हिस्सेदारी के अनुसार भूमि का उपयोग किया है और यदि कोई व्यक्ति चोरी-छिपे कुछ रख देता है तो पूर्व मंत्री जैसे व्यक्ति का नाम उससे जोड़ना अपराध है।
नेता महासेठ के खिलाफ कुछ दलों के कार्यकर्ताओं द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह के चलते यह प्रचार किया जा रहा है, ऐसा आरोप ठाकुर ने लगाया।
इस बीच, सशस्त्र पुलिस बल के पुलिस उपरीक्षक निर्मल खड्का ने भी स्पष्ट किया कि वह जमीन नेता महासेठ की नहीं है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में कई फोन आने के बाद जब जानकारी ली गई, तो पता चला कि जमीन का नेता महासेठ से कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने संभावना जताई कि जब वह स्थान उपयोग में नहीं था, तो किसी बिचौलिए, अनजान व्यक्ति या तस्कर ने संदेह से बचने के लिए वहां सामान छिपा दिया हो सकता है।